कृषि मंत्री तोमर बोले, ‘कृषि सुधार कानूनों के चलते बंधनों से आजाद हुए किसान’

केकेबी ब्यूरो, दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड काल मे भले ही गोता लगाया हो आर्थिक विकास दर शून्य से भी नीचे जा पहुँचा हो लेकिन सभी सेक्टरों में एक मात्र कृषि ऐसा क्षेत्र है जिसमें इस संकटकाल में भी शानदार ग्रोथ रेट हासिल किया है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में वर्ष 2020-21 के लिए जो आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की उसमें साफतौर पर कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के समय में भी कृषि क्षेत्र ने अहमियत दिखाई और भारतीय अर्थव्यवस्था को भी संकट से उबारने में मदद की।

2020-21 में 3.4% कृषि क्षेत्र का विकास दर

आर्थिक सर्वे के मुताबिक वर्ष 2020-21 में कृषि क्षेत्र और उससे संबंधित गतिविधियां का विकास दर 3.4 फ़ीसदी रहने का अनुमान है। वहीं  2019-20 में देश के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में कृषि क्षेत्र का योगदान 17.8 प्रतिशत रहा है।

रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन

2019-20 में कृषि क्षेत्र की आर्थिक समीक्षा (चौथे अग्रिम अनुमान) के अनुसार देश में 296.65 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ जबकि 2018-19 में 285.21 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था। इस प्रकार वर्तमान सत्र में 11.44 मिलियन टन अधिक खाद्यान्न का उत्पादन हुआ।

तीन कृषि कानूनों को बताया बेहतर

एक तरफ दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बीते दो महीने से आंदोलन पर बैठे हैं। तो दूसरी तरफ संसद में पेश आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि संसद से पारित तीनों कृषि सुधार कानूनों का उद्देश्य स्थिति को बेहतर बनाना ना कि अवरोध पैदा करना। आर्थिक सर्वे को लेकर प्रेस वार्ता के दौरान जब मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन से किसानों के आंदोलन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे एक अर्थशास्त्री है इसलिए इसपर कुछ नहीं सकते।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, “कृषि सुधार के नए उपायों के कारण कानूनी बंधनों से आजाद हुए किसानों का जीवन स्तर बेहतर हो जाएगा, जिसका देश के अधिकांश किसान खुले दिल से समर्थन कर रहे हैं।”

कृषि मंत्री ने कहा कि देश के लगभग 86 फीसदी छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। एक लाख करोड़ रूपए के ऐतिहासिक कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड और 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन से अन्नदाताओं को काफी सुविधाएं व लाभ मिलेगा।