राकेश टिकैत बोले, बातचीत का माहौल बनायें प्रधानमंत्री, नहीं झुकने देंगे किसानों के पगड़ी का सम्मान

केकेबी ब्यूरो, दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिये बयान का स्वागत किया है। राकेश टिकैत ने कहा, “ हम प्रधानमंत्री के बयान का स्वागत करते हैं। हम उनका धन्यवाद करते हैं। वे सरकार और किसानों के बीच कड़ी बने हैं। हम प्रधानमंत्री का सम्मान नहीं गिरने देंगे। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने दोहराया कि वे किसान के पगड़ी का सम्मान भी नहीं गिरने देंगे।” इसके साथ ही उन्होंने दोहराया कि किसी शर्त के साथ सरकार के साथ अब बात नहीं होगी। सरकार को तीन कृषि कानूनों को खत्म करना ही होगा।

राकेश टिकैत ने कहा कि, हम सरकार से बात करने को तैयार हैं। लेकिन प्रधानमंत्री बातचीत का मौहाल बनायें। जिन 84 आंदोलनकारी किसानों को सरकार ने गिरफ्तार किया है उनको फौरन रिहा किया जाये। साथ में जिन पत्रकार को हिरासत में लिय़ा गया है उन्हें भी रिहा करे। टिकैत ने कहा कि अब सरकार के साथ बराबरी के स्तर पर बात होगी क्योंकि ये किसान के पगड़ी का सवाल है। सरकार किसानों से अच्छे से बात करे और विवाद खत्म करने के लिये बात करे। जिससे किसान का सम्मान भी बरकरार रहे और सरकार का भी। उन्होंने कहा कि, आंदोलन तकतक चलता रहेगा जबतक सरकार सम्मानजनक तरीके से किसानों से बात नहीं करती।

रविवार को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 26 जनवरी को पर तिरंगे के अपमान पर देश दुखी है, उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुये राकेश टिकैत ने कहा कि 26 जनवरी की घटना को हम भी दुखद मानते हैं। इस घटना की जांच होनी चाहिये। और उन अधिकारियों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिये जिन्होंने लालकिले तक उन लोगों को जाने दिया। उन्होंने सवाल किया क्या लालकिले के भीतर कोई इतनी आसानी से जाने की हिम्मत कर सकता है ? राकेश टिकैत ने कहा कि इस घटना के बाद एक धर्म विशेष को टारगेट कर षडयंत्र रचा जा रहा। छोड़ना होगा।

दरअसल कल बजट सत्र को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार किसानों से बात करने को तैयार है। किसानों के मसले का हल बातचीत से ही दूर होगा। कृषि मंत्री तोमर किसानों से सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं। प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि 22 जनवरी को किसानों के साथ हुई बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल  तक के लिये स्थगित करने का प्रस्ताव आज भी बरकरार है।