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धोती-कुर्ता पहनकर शिवराज सिंह चौहान उतरे तालाब में, मखाना उगाने वाले किसानों से की चर्चा

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मखाने की खेती देखते शिवराज सिंह चौहान

Makhana Farming In India: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का बिहार के दरंभगा में खास अंदाज देखने को मिला जब वे धोती-कुर्ता पहने तालाब में उतर गए और वहीं परमखाना उत्पादन करने वाले किसानों से मखाने की खेती के तौर तरीकों को लेकर चर्चा की और उनसे जानकारी हासिल किया.

शिवराज सिंह चौहान ने समझी मखाने की खेती की प्रक्रिया

शिवराज सिंह चौहान ने तालाब में मखाने की खेती की पूरी प्रक्रिया समझी और मखाना उत्पादन में आने वाली कठिनाइयों को जानने के साथ ही किसानों से सुझाव भी लिए. शिवराज सिंह ने कहा कि मखाना की खेती कठिन है और तालाब में दिनभर रहकर खेती करनी होती है. केंद्र सरकार ने इस वर्ष बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की है और इस बोर्ड के गठन के पहले वे किसानों से सुझाव लेकर चर्चा कर रहे है, ताकि किसानों की वास्तविक समस्याएं समझी जा सकें. केंद्रीय कृषि मंत्री ने दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र पर संवाद कार्यक्रम में मखाना के किसानों से सुझाव लेने के साथ ही उन्हें संबोधित भी किया. इस अवसर पर बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित और दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर मौजूद थे.

दूर कर रहे किसानों की तकलीफ को 

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम केवल विभाग नहीं चलाते हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गहराई तक जाकर, कैसे हम किसानों की तकलीफ दूर करें, इसकी कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा कि किसान की आमदनी बढ़े, 57% लोग आज भी खेती पर निर्भर हैं और खेती भी एक चीज की नहीं है, कहीं केला है तो कहीं लीची है, कहीं मकई है तो कहीं गेहूं है कहीं धान है, इस धरती पर तो मखाना है. अगर किसानों का कल्याण करना है तो हमें हर एक फसल को ठीक से देखना पड़ेगा और इसलिए जब मैं पहली बार कृषि मंत्री बनकर पटना आया था, कृषि भवन में तब बैठक हुई थी, किसानों के साथ और उस बैठक में मखाना उत्पादक किसानों ने अपनी समस्या बताई थी.

मखाना है सुपरफूड 

कृषि मंत्री ने कहा कि मखाना सुपरफूड है, पौष्टिकता का भंडार है, ये मखाना आसानी से पैदा नहीं होता है।. मखाना पैदा करने के लिए कितनी तकलीफें सहनी पड़ती है, ये यहां आकर देखा जा सकता है इसलिए मेरे मन में ये भाव आया कि जिन्होंने किसानों की तकलीफ नहीं देखी, वो दिल्ली के कृषि भवन में बैठकर मखाना बोर्ड बना सकते हैं क्या? इसीलिए मैंने कहा, पहले वहां चलना पड़ेगा जहां किसान मखाने की खेती कर रहा है. खेती करते करते कितनी दिक्कत और परेशानी आती है, ये भी हो सकता है कि यहां कार्यक्रम करते और निकल जाते लेकिन इससे भी सही जानकारी नहीं मिलती है.  केंद्रीय कृषि मंत्री बोले, मन में भाव आया कि शिवराज तू तो सेवक है, एक बार पोखर, तालाब में उतर जा, और मखाने की बेल को लगा, तब तो पता चलेगा कि मखाने की खेती कैसे होती है. जब बेल हाथ में ली तो पता चला कि उसके ऊपर भी कांटे और नीचे भी कांटे थे. हम तो केवल मखाने खाते हैं, लेकिन कभी कांटे नहीं देखे. जब हमारे किसान भाई-बहन मखाने की खेती करते हैं उनके लिए जितना लगाना कठिन है, उतना ही निकालना भी कठिन है.

कांटा रहित मखाने का बीज पर फोकस 

शिवराज सिंह ने किसानों से कहा कि सही अर्थों में आपसे समझकर कि मखाना बोर्ड बने तो कैसे बने, इसलिए मेरा अधिकारियों को भी निर्देश है ICAR के लोग, अनुसंधान केंद्र के लोग इस पर काम करे कि कांटा रहित मखाने का बीज कैसे विकसित किया जा सकता है. ये असंभव नहीं है, यहाँ बात मैकेनाइजेशन की आई, पानी में डुबकी लगाकर निकालना पड़ता है पूरे डूब गये आँख, नाक, कान में पानी और केवल पानी ही नहीं होता है, पानी के साथ कीचड़ भी होता है. अब आज के युग में मैकेनाइजेशन से ये चीज बदली जा सकती है, अभी यंत्र तो बने हैं लेकिन उसमें आधा मखाना आता है और आधा आता ही नहीं है. इसलिए ऐसे यंत्र बनाए जाएंगे जो गुरिया को आसानी से बाहर खींच लाए. आज टेक्नोलॉजी है और प्रोसेसिंग की दिशा में कई लोग काम कर रहे हैं.

उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने पर फोकस  

शिवराज सिंह ने कहा, उत्पादन कैसे बढ़े साथ ही उत्पादन की लागत घटाना होगी और उत्पादन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना प्राथमिकता होगी. अब कई पोखर चाहिए, तालाब चाहिए पानी रोकने की व्यवस्था चाहिए, हम लोग विचार करेंगे कि केंद्र और राज्य सरकार की अलग-अलग योजना के तहत ये कैसे बनाए जा सकते हैं. क्या मनरेगा में कहीं तालाबों का निर्माण हो सकता है. कई तरह के रास्ते निकल सकते हैं, उस पर भी हम काम करेंगे. कठिनाइयों को दूर करना और एक जिसके लिए कई काम करने पड़ेंगे वो है-उचित मूल्य मखाने का मिल जाए, इसका इंतजाम करना होगा. कई बार दाम गिर जाते हैं और इसलिए बाजार का विस्तार, मंडियों को ठीक करना, घरेलू बाजार, अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना प्राथमिकता होगी. उन्होंने कहा कि ये सुपरफूड़ मखाना एक दिन दुनिया में छा जाएगा, क्योंकि इसके गुणधर्म ऐसे हैं. जानकी मैया का आशीर्वाद प्राप्त है और इसलिए सुपरफूड की कैसे हम मार्केटिंग करें, ब्रांडिंग करें, पेकेजिंग करें, उस सभी में सहयोग देंगे.

मखाना उत्पादन किसानों की ट्रेनिंग पर फोकस 

उन्होंने कहा कि लीज पर ज़मीन लेकर खेती करने वाले किसानों को केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिले. चाहे किसान क्रेडिट कार्ड हो, कम दरों पर ब्याज, खाद की व्यवस्था, एमएसपी आदि. जो बटाईदार है जो मेहनत कर रहा है उसको भी लाभ मिलना चाहिए. इस दिशा में हम काम कर रहे हैं. मखाना उत्पादन किसानों की ट्रेनिंग पर भी काम किया जाएगा. कार्यशाला लगाने से लेकर ट्रेनिंग कैंप लगाकर कैसे कौशल विकसित किया जाए, इसकी कोशिश की जाएगी.

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