जानिए कैसे महाराष्ट्र के एक बकरी बैंक ने बदल दी है छोटे किसानों की जिंदगी

केकेबी ब्यूरो। आपने बैंक से लोगों को कर्ज लेते सुना होगा। कर्ज के तौर पर बैंक से नगद मिलता है। लेकिन कभी आपने बैंक से लोन के तौर पर बकरी देने सुना है। जी हां, महाराष्ट्र के अकोला जिले के सांघवी मोहाली गांव में साल 2018 से ऐसा ही बैंक चल रहा जिसका नाम है गोट बैंक ऑफ कारखेड़ा। इस बैंक से लोग कर्ज तो लेते हैं पर नगद नहीं बल्कि कर्ज के तौर पर मिलती है गर्भवती बकरी। और ईएमआई के तौर पर बैंक कर्जदार से वापस लेता है चार मेमने।

नरेश देशमुख ने रखी बकरी बैंक की नींव

अकोला के रहने वाले नरेश देशमुख ने इस बैंक की शुरुआत 2018 में की थी। नरेश देशमुख बताते हैं कि किसानों का केवल खेती से गुजारा संभव नहीं है। अतिरिक्त आय के लिये किसान को पशुपालन पर जोर देना होगा। किसान गाय-भैंस या बकरी पालते हैं। बकरी पालन से कमाई की ज्यादा गुजाईश है। एक बकरी एक साल में दो तीन बच्चे पैदा करती है। बकरी के बच्चों को सही देखभाल मिल जाये तो इसमें अच्छा मुनाफा होता है।

40 लाख के निवेश से खोला बकरी बैंक

नरेश देशमुख के मुताबिक जुलाई 2018 में उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर 40 लाख रुपये के निवेश के साथ बकरी बैंक खोला और 340 बकरियां खरीदीं। नरेश ने यह बकरियां लोन एग्रीमेंट कर 340 श्रमिकों और छोटे किसानों के परिवारों की महिलाओं को उपलब्ध कराई। हर एक महिला से 1200 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस लेकर उसे एक गर्भवती बकरी दी गई। एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक एग्रीमेंट करने वाली महिला को 40 महीने में एक बकरी के बदले में बकरी के चार बच्चे बैंक को लौटाने थे। जबकि उस महिला को औसतन इन 40 माह में अपने पास की बकरियों से करीब 30 बच्चे प्राप्त होते हैं। 4 बच्चे बैंक को देने के बाद भी महिला के पास 26 बच्चे बचे रहते हैं। अनुमान के मुताबिक, हर महिला को इस तरीके से करीब ढाई लाख रुपये का लाभ होता है। नरेश के मुताबिक उनके गोट बैंक के लगभग 1200 से ज्यादा डिपॉजिटर्स हैं। साथ ही वे ये मानते हैं कि महिलाओं को बकरी देना ज्यादा फायदेमंद है।

बकरी बैंक की शानदार कमाई

नरेश देशमुख ने 340 बकरियां कर्ज के तौर पर जब 2018 में देकर बैंक की शुरुआत की तब उनके पास 800 बकरियों के बच्चे लौटे इन बकरियों के बड़े होने के बाद बैंक ने इन्हें कॉन्ट्रेक्टर को बेच दिया, जिससे करीब गोट बैंक को करीब एक करोड़ रुपये की कमाई हुई। बकरी के वजन के मुताबिक उसकी कीमत तय की जाती है। बकरियों का औसतन वजन 30 से 50 किलो के बीच होता है। एक अनुमान के मुताबिक एक बकरी वजन के हिसाब से 12,000 से लेकर 20,000 रुपये के बीच बिकती है।

बकरी बैंक का हो चुका है पेटेंट

नरेश देशमुख ने कारखेड़ा एग्री प्रोड्यूसर नामक कंपनी बनाकर अपने इस अनूठे कारोबार के फॉर्मूले का पेटेंट भी कराया हुआ है। नरेश अगले कुछ समय में महाराष्ट्र में 100 बकरी बैंक खोलने की तैयारी में हैं। उन्होंने राज्य की महिला आर्थिक विकास महामण्डल के साथ एमओयू पर दस्तखत किए हैं। एमओयू के मुताबिक पूरे महाराष्ट्र में महिलाओं के बीच बकरियों के वितरण और बकरियों के बच्चों के कलेक्शन की जिम्मेदारी महिला आर्थिक विकास महामण्डल ने अब ले ली है।

बकरी बैंक का विस्तार

नरेश ने महाराष्ट्र के अकोला, सांगली, वाशिम, यवतमाल, अमरावती जिलों में भी बकरी बैंक माध्यम से बकरियां दी हैं। लेकिन उनकी कोशिश है कि महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी बैंक की शाखाएं खुलें। नरेश के मुताबिक बैंक में एक लाख रुपये रखने से अच्छा है एक लाख रुपये में बकरी ख़रीदा जाये उससे ज्यादा फायदा होगा। बकरी बैंक को लेकर नरेश लोगों को ट्रेनिंग भी देते हैं कि कैसे आप बैंक शुरू कर सकते हैं। इसके लिए तीन एकड़ ज़मीन होनी चाहिये, जिसमें बकरियों का शेड बनाया जा सके। इसी जमीन में बकरियों के चारे के लिये पीपल का पेड़ भी उगाया जा सकता है। जिससे बकरियों के चारे के लिए पत्तियां भी मिल जाएं और गर्मियों में उसे धूप से भी बचाया जा सके।

( Photo Source – Naresh Deshmukh)