केकेबी ब्यूरो। कोरोना की दूसरी लहर के बाद कई राज्यों में कर्फ्यू और लॉकडाउन के चलते देश के आर्थिक विकास के रफ्तार, धीमी पड़ सकती है। ऐसे में बीते साल के समान एक बार फिर अर्थव्यवस्था को सकंट से उबारने की जिम्मेदारी हमारे देश के अन्नदाता पर आन पड़ी है।
आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास के मुताबिक ” इस वर्ष बेहतर मॉनसून के चलते खरीफ फसल की पैदावार अच्छी होनी की उम्मीद है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी जिससे ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसका सीधा फायदा अर्थव्यवस्था को पहुंचेगा। साथ ही महंगाई पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।” देश के किसानों के लिये अच्छी खबर ये है कि कोरोना के पहली लहर वाले साल के समान इस वर्ष भी मौसम विभाग ने अच्छे मॉनसून की भविष्यवाणी की है।
साल 2020-21 की पहली तिमाही में कोरोना के चलते देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 40 साल के निचले स्तर (माइनस) -23.9 फीसदी तक जा लुढ़का तो केवल कृषि ऐसा क्षेत्र था जिसका विकास दर 3.4 फीसदी (पॉजिटिव) था। जबकि मैन्युफैकचरिंग से लेकर कंस्ट्रक्शन सेक्टर का भी ग्रोथ रेट माइनस में था। तो 2021-22 में भी अब अर्थव्यवस्था के लिये कृषि क्षेत्र और किसानी सकंटमोचक बनने वाला है।
कृषि कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 7 मई तक 80.02 लाख हेक्टेयर खेत में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है जो बीते वर्ष इस अवधि में हुई बुआई से 21.58 फीसदी अधिक है। मंत्रालय के मुताबिक कोविड के दूसरे लहर की बुआई पर कोई असर नहीं देखा गया है।