मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर, आंदोलित किसानों ने मनाया काला दिवस

केकेबी ब्यूरो। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली का बार्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन को आज छह महीने पूरे हो गये। और इस मौके पर किसानों ने हाथों में काले झंडे लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और काला दिवस मनाया। पूरे देश में किसानों का प्रदर्शन देखने को मिला। तो पंजाब में लोगों ने अपने घरों के छत पर काला झंडा लगाकर किसानों के विरोध प्रदर्शन का साथ दिया।

किसानों ने मनाया काला दिवस, विपक्ष का मिला साथ

किसानों ने काला दिवस इसलिये भी मनाया क्योंकि आज मोदी सरकार को सत्ता में आये सात साल पूरे हो गये। 26 मई 2014 को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार बनी थी। सरकार के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को 12 विपक्षी दलों का भी साथ मिला। आज से छह महीने पहले पिछले साल 26 नवंबर को किसानों ने कृषि कानूनों का विरोध करने का लिये दिल्ली का रुख किया था और तब से किसान दिल्ली के तीन बार्डरों टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बार्डर पर जमे हुये हैं। विरोध का झंडा थामे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि “ सरकार फौरन तीनों कृषि कानूनों को वापस ले साथ ही न्यूनत्तम समर्थन मुल्य ( MSP ) की कानूनी गारंटी दे।“

काला दुपट्टा डालकर महिला किसानों का प्रदर्शन

बहरहाल किसानों के धरने को छह महीने पूरे हो गये हैं। लेकिन उनका हौसला जस का तस बना हुआ है। कोरोना के दूसरे लहर के बीच टिकरी बार्डर, सिंघु बार्डर और गाजीपुर बार्डर पर पुरुष किसानों के साथ महिला किसान भी धरने में डटीं हैं। महिलाओं ने काला दुपट्टा डालकर विरोध प्रदर्शन किया।

22 जनवरी के बाद सरकार किसानों के बीच बातचीत बंद

सबसे बड़ी दिक्कत है कि सरकार के साथ किसानों नेताओं की 12 दौर के बातचीत हुई लेकिन 22 जनवरी के बाद से बातचीत के दरवाजे बंद हैं। न तो सरकार की तरफ से और न किसानों की तरफ बातचीत के लिये पहल होती दिख रही। हांलाकि हाल ही किसानों नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर बातचीत शुरु करने की मांग की है। 22 जनवरी को जब आखिरी दौर की बातचीत हुई थी तब सरकार ने किसानों को डेढ़ से दो सालों के लिये तीनों कृषि कानूनों के ठंडे बस्ते में डालने का प्रस्ताव दिया था जिसे किसानों ने ठुकरा दिया था। किसानों की मांग थी कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे और एमएसपी की कानूनी गारंटी दे।

सरकार-किसानों के बीच अविश्वास की खाई

सरकार और किसानों के नेताओं के बीच गतिरोध तब ज्यादा बढ़ गया जब किसानों ने 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाला और जिसके बाद हिंसा हो गई। जिसमें किसानों के साथ साथ बड़ी संख्या में पुलिस वाले घायल हुये। तो लाल किले पर चढ़कर हिंसक भीड़ ने धर्म विशेष का झंडा लगा दिया। जिसके बाद किसानों और सरकार के बीच अविश्वास की खाई बढ़ती चली गई।

 

कानून वापस होने तक जारी रहेगा आंदोलन

किसानों का साफ कहना है कि जबतक मोदी सरकार तीन कृषि कानूनों का वापस नहीं लेती और एमएसपी को कानूनी गारंटी नहीं देती ये आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा।