Cotton Farming: कपास के किसानों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. वजह है किसानों को कपास के दाम नहीं मिल पा रहे हैं. वैश्विक संकट के चलते कपास की मांग घटने का असर कपास का किसानों को सहना पड़ रहा है. महाराष्ट्र के किसान इन दिनों परेशान हैं और उन्हें अपने कपास को पास में रखना पड़ रहा है क्योंकि बाजार में उन्हें भाव नहीं पा रहा है. केन्द्र सरकार ने 2022-23 के लिए कपास का एमएसपी 6380 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है लेकिन इस भाव पर भी किसानों का कपान नहीं बिक पा रहा है.
लागत से कम है एमएसपी!
किसानों का कहना है कि एक तो महंगी मजदूरी, महंगे खाद-बीज और महंगे डीजल के चलते उनकी लागत बढ़ी है ऐसे में सरकार की 6380 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी नाकाफी साबित हो रही है इसलिए किसान कपास नहीं बेच पा रहे हैं . वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी के चलते किसानों के कपास का खरीदार नहीं है. मिल मालिकों के पहले से कपास पड़े हुए हैं ऐसे में वे किसानों के कपास का खरीदार भी नहीं है. किसानों का कहना है कि कपास के प्रोडक्शन का लागत 8000 से 8500 प्रति क्विंटल है जबकि उन्हें भाव केवल 7000 से 7500 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल रहा है.
नहीं मिल रहा किसानों को भाव
एक तरफ किसानों को कपास का भाव नहीं मिल रहा है किसान बेहतर दाम की उम्मीद में कपास को अपने पास रखने को मजबूर हैं. दूसरी तरफ किसानों पर बैंक के कर्ज वापसी का भी दबाव है. ऐसे में किसानों के आत्महत्या की भी खबरें आती रहती है.
कपास की खेती में महाराष्ट्र अव्वल
आपको बता दें महाराष्ट्र के विदर्भ में कपास की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. करीब 42.39 लाख हेक्टेयर जमीन में कपास की खेती महाराष्ट्र में की जाती है. कुल कपास के उत्पादन में 28 फीसदी हिस्सेदारी महाराष्ट्र की है. माना जाता है कि एक एकड़ में कपास के उत्पादन में 40 से 45000 रुपये की लागत आती है जिसमें 6 -7 क्विंटन कपास का उत्पादन होता है.
क्या है किसानों की मांग
किसान चाहते हैं कि सरकार एमएसपी के रेट में अच्छी खासी बढ़ोतरी करे जिससे कपास के किसानों को वित्तीय संकट से बाहर निकाला जा सके. आपको बता दें 2021 के आखिर में और 2022 की शुरुआत में किसानों को कपास के 12000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिले थे. लेकिन यूक्रेन -युद्ध, अमेरिका और यूरोप में आर्थिक संकट के चलते विदेशों में मांग घटने से कपास के दामों में बड़ी गिरावट आई है.