कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 2024-25 में 341.55 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का है लक्ष्य

Shivraj singh chauhan

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रबी अभियान 2024 को लेकर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य 341.55 मिलियन टन होगा. और लक्ष्य जब बड़ा होता है, तो उसकी पूर्ति का संकल्प भी बड़ा हो जाता है। अपने काम को बेहतर से बेहतर अंजाम देना होगा। कार्य संस्कृति बदलते ही बड़ा परिवर्तन आता है। कृषि मंत्री ने, आँकड़ेबाजी में न पड़ने की सलाह दी है. उन्होंने कहा, कई बार हम केवल आंकड़ों से स्थिति को बेहतर दिखाने की कोशिश करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके परिश्रम, टैलेंट, सोच, कर्मठता से जो हमने लक्ष्य तय किये हैं, उनको हम पूरा करेंगे।

कृषि मंत्री ने कहा, कृषि विभाग का मतलब है देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले किसानों की जिंदगी कैसे बेहतर बने उसके प्रयास करना। उन्होंने कहा कि कृषि राज्य का विषय है। केंद्र सरकार हर संभव सहयोग करने का प्रयास करती है। केंद्र और राज्य दो अलग-अलग नहीं है हमारा संघीय ढांचा है, हम दोनों को ही मिलकर काम करना है। कृषि मंत्री के रूप में मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि कोई भी राज्य हो, सभी हमारे लिए बराबर हैं। हम किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करेंगे। केंद्र सरकार अकेले काम नहीं कर सकती है सभी मिलकर काम करेंगे, राज्यों के सहयोग की भी आवश्यकता होती है। इस सम्मेलन का संकल्प यही है कि हम मिलकर काम करेंगे।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि व्यावहारिक रूप से केंद्र और राज्यों के सामने अगर कोई समस्या आती है तो उसे पूरा करने में हम कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हर कैबिनेट में किसानों के हित में क्रांतिकारी फैसले लिए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से कहा था कि तीसरे टर्म में तीन गुणी ज़्यादा शक्ति से काम करना चाहता हूं। कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी प्रण लिया कि अकेले प्रधानमंत्री ही तीन गुनी शक्ति से काम नहीं करेंगे बल्कि हम भी कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है। कृषि का भारतीय अर्थव्यवस्था में आज भी 18 से 19% तक का योगदान है और 55% से ज्यादा लोगों को कृषि ही रोजगार प्रदान कर रही है। कृषि ने ही कोविड में भी भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित नहीं होने दिया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने खेती के लिए 6 सूत्र तय किए हैं।

– उत्पादन बढ़ाना, इसके लिए अच्छे बीज चाहिए। नया बीज रिलीज तो हो गया लेकिन साइकिल ऐसी है कि तीन चार साल लग जाते हैं किसान तक पहुंचते-पहुंचते।

– सिंचाई की व्यवस्था चाहिए। खाद की उपलब्धता भी हो। जो फ़ीडबैक आया है, उसपर हमें चिंता से काम करना है।

– कैमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग हम कैसे कम करें, इस पर हमें धीरे-धीरे ध्यान देना होगा।

– ऑर्गेनिक और नेचुरल फ़ार्मिंग की ओर जब हम बढ़ेंगे, तब हम धीरे-धीरे इसका उपयोग भी कम कर लेंगे।

– खाद के लिए केंद्र के साथ राज्य जो भी ध्यान देना होगा। भारी सब्सिडी के बाद भी अव्यवस्था के कारण हमारा परिश्रम बेकार हो जाता है।

– उत्पादन की लागत घटाना हमारा दूसरा लक्ष्य है। पर हेक्टेयर ईल्ड तो बढ़े लेकिन लागत कैसे घटे, इस पर काम हो रहा है।

जो चीज हम तय करते हैं, वो कैसे किसान तक जाये, इसके लिए राज्यों का सहयोग चाहिए।

केन्द्रीय मंत्री श्री चौहान ने बताया कि कृषि चौपाल हम अगले महीने शुरू कर देंगे, इसमें किसान बैठेंगे और वैज्ञानिक बैठेंगे।

तीसरी चीज है उत्पाद के ठीक दाम देना। हम MSP बढ़ा रहे हैं। 2019 से तय हुआ कि उत्पादन की लागत पर 50% जोड़कर मुनाफा देना है। खरीदी की भी प्रभावी व्यवस्था हो, इस पर काम हो रहा है।

हम दलहन और तिलहन के सबसे उत्पादन भी हैं लेकिन आयात भी हम करते हैं। इसका उत्पादन हमें बढ़ाना है, लेकिन किसान दाम भी देखेगा कि किसमें फायदा है।

हमने मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस की व्यवस्था खत्म की है, चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध को खत्म किया है। दालों की खरीद की व्यवस्था हमने की है। दालों की पूरी खरीदी होगी, किसन चिंता न करें। हम किसी राज्य में 25% से ज्यादा भी खरीदेंगे अगर जरूरत पड़ी तो। जो किसान सब्जी पैदा करते हैं, वो बेचते 5 रुपये में हैं और बाजार में 50 रुपये में मिलती है। ये गैप इतना नहीं होना चाहिए। हमने कमेटी बनाई है और बीच में जो पैसा जाता है, इसकी साइंटिफिक व्यवस्था बन रही है जिससे किसान को उसके हक का पैसा मिले।

उन्होंने बताया कि गाँव में टमाटर पैदा हुआ, यहाँ पर आते हुए उसके रेट बढ़ जाते हैं, बीच के ट्रांसपोर्टेशन के खर्च को अगर केंद्र राज्य मिलकर वहन कर लें तो शहर वाले को सस्ती सब्जी मिलेगी और किसान को बेहतर दाम मिल जायेगा। जल्दी खराब होने वाली फसलों विशेष कर सब्जियों को कैसे बचाया जा सके, इसके लिए कमेटी बनाई है। हमें कृषि का विविधीकरण करना है। कई बार किसी फसल का जरूरत से ज्यादा उत्पादन हो जाता है। राज्य और केंद्र एक प्रयोग करे, एक मॉडल फार्म कैसे बने। एक, दो या ढाई एकड़ जमीन में किसान कैसे खेती करे, इस पर काम हो। कई किसानों ने बताया है कि वो एक एकड़ में अच्छा कमा लेते हैं। अलग-अलग राज्यों में प्रयोग होना चाहिए। हमें परंपरागत खेती का स्वरूप बदलना होगा।

कृषि मंत्री ने कहा कि भारत में इतने एग्रो-क्लाइमेटिक ज़ोन हैं कि भारत दुनिया का फूड बास्केट बन सकता है। हम संवेदनशील बनें। किसानों को कई बार नुकसान हो जाता है, उस समय हमें किसानों के साथ खड़े होना है। फसल बीमा योजना का पैसा किसानों को समय पर मिल जाना चाहिए। लगातार रिव्यू हो जिससे अधिक से अधिक पैसे किसानों को मिलें। हमने 25 लाख नये किसान पीएम किसान सम्मान निधि योजना में जोड़े हैं। कृषि विज्ञान केंद्र का बेहतर उपयोग कैसे हो। ये एक जगह से कंट्रोल नहीं होते हैं, कुछ केंद्र ICAR चला रहा है और कुछ यूनिवर्सिटी चलाती हैं, कुछ राज्य चलाते हैं। इनमें बेहतर कोओर्डिनेशन होना चाहिए। कुछ राज्य KVK पर ध्यान नहीं देते हैं। इनको बहुउद्देशीय और बहुउपयोगी बनाना है। हमें FPOs को अर्थपूर्ण बनाना होगा।