लाखों की कमाई करा रही है ये घास, अब तक नहीं बोई है तो जरूर बोइए

केकेबी हेडक्वार्टर

देश के किसान एक ऐसी घास की खेती करने में जुटे हुए हैं जिससे न सिर्फ कमाई बढ़ती है बल्कि इसमें लगने वाला खर्चा भी कम ही होता है। ये घास है लेमनग्रास जिसे आम बोलचाल की भाषा में नींबू घास कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सिम्बेपोगोन फ्लक्सुओसस है। आंकलन के मुताबिक एक एकड़ में इसे बोने से दो लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है।

मौजूदा दौर में जब पारंपरिक खेती में फायदे की गुंजाइश घटती जा रही है तो इसी तरह की आधुनिक दौर की खेती में ही किसानों के लिए कमाई के मौके बढ़ जाते हैं। आधुनिक खेती न सिर्फ ज्यादा सुरक्षित होती है बल्कि इन फसलों की मांग भी हमेशा बनी रहती है। यहीं वजह है कि किसान अब नई किस्म के फसलों की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं।

लेमनग्रास या नींबू घास की बात करें तो इसमें सिंट्राल की मात्रा 80 से 90 प्रतिशत तक होती है। इससे इसमें नींबू जैसी खुशबू आती है। लेमनग्रास की खेती कर रहे किसान बताते हैं कि इस पर आपदा का प्रभाव नहीं पड़ता और पशु नहीं खाते तो यह रिस्क फ्री फसल है। वहीं लेमनग्रास की रोपाई के बाद सिर्फ एक बार निराई करने की जरूरत पड़ती है और सिंचाई भी साल में 4-5 बार ही करनी पड़ती है। इससे जाहिर होता है कि इसमें मेहनत कम लगता है और लागत भी काफी कम है।

तस्वीर सभार सोशल मीडिया

 

लेमनग्रास लगाने का फायदा
लेमनग्रास के तेल की मांग काफी ज्यादा है। इसके पत्ते से तेल बनाया जाता है। वहीं इसके डंठल का भी निर्यात किया जाता है। दवाई बनाने के लिए कंपनियां इनकी खरीद करती हैं। वहीं इत्र, सौंदर्य के सामान और साबुन बनाने में भी लेमनग्रास का उपयोग होता है। विटामिन ए की अधिकता और सिंट्राल के कारण भारतीय लेमनग्रास के तेल की मांग हमेशा बनी रहती है। इसके पानी का इस्तेमाल खेत में किया जाता है। कोरोना काल में इसके तेल का इस्तेमाल सेनिटाइजर बनाने में भी हो रहा है।

यहां होती है बड़े पैमाने पर खेती
भारत के केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड में किसान लेमनग्रास की प्रमुखता से खेती करते हैं। केंद्र सरकार किसानों को लेमनग्रास की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए नाबार्ड से लोन भी मिलता है। वहीं आयुष मंत्रालय के किसान सशक्तिकरण योजना में भी लेमनग्रास को शामिल किया गया है।

लेमनग्रास की खेती कहीं भी कर सकते हैं, लेकिन ज्यादा पैदावार के लिए गर्म और आद्र जलवायु जरूरी है। उच्च ताप और धूप से इसमें तेल की मात्रा बढ़ती है. हर प्रकार के खेत में इसकी खेती कर सकते हैं। अगर दोमट उपजाऊ मिट्टी में खेती करते हैं तो फसल काफी अच्छी होगी। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जा रही है।

लेमनग्रास की खेती धान की तरह होती है. पहले इसके बीज को नर्सरी में बोया जाता है. पौधों के कुछ बड़े होने पर इसे उखाड़ कर खेत में या अन्य जगह रोपाई करते हैं। एक हेक्टेयर के लिए 4 किलो बीज की जरूरत होती है। पौधे 2 महीने के भीतर लगाने लायक हो जाते हैं। पौधे के ऊपरी भाग को जड़ से 15 सेंटीमीटर छोड़कर काट लेते हैं। जड़ों को अलग कर लेते हैं और 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं। एक एकड़ में 12 हजार से 15 हजार पौधे लगाए जाते हैं।