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Punjab Assembly Election 2022: किसान तय करेंगे पंजाब में किसकी बनेगी सरकार, 2022 में बदले हुए हैं राजनीतिक समीकरण

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Punjab Assembly Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) के तारीखों का ऐलान हो चुका है. 14 फरवरी 2022 को पंजाब में 117 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा और एक चरण में पंजाब में चुनाव संपन्न होगा. चुनाव आयोग (Election Commission ने ऐलान किया है. पंजाब में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को 59 सीटों पर जीत हासिल करनी होती है.

पंजाब का विधानसभा चुनाव ( Punjab Assembly Election) बेहद अहम है. मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध पंजाब से शुरू हुआ था. विरोध का स्वर इतना मुखर था कि पंजाब के किसानों के समर्थन में हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भी आ गए. ये सभी किसान एक साल से ज्यादा समय तक राजधानी दिल्ली के तीन बार्डर पर कानून वापस लेने की मांग को लेकर डटे रहे. और जिस कानून के फायदे गिनाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi) से लेकर सरकार के तमाम मंत्री थकते नहीं थे, उस सरकार को किसानों के विरोध के आगे झुकना पड़ा.

गुरुनानक जयंती के दिन प्रधानमंत्री मोदी को खुद सामने आकर तीनों कृषि कानूनों ( Three Farm Laws) को वापस लेने का ऐलान करना पड़ा और उन्हें किसानों से माफी भी मांगनी पड़ी. किसान दिल्ली के बार्डर से अफने घर को लौट गए. लेकिन जिस केंद्र सरकार के जिस आश्वासन के बाद ये किसान लौटे हैं उसे वादे को केंद्र सरकार को पूरा करना अभी बाकी है. जिसमें फसल पर न्यूनत्तम समर्थन मुल्य की गारंटी सबसे प्रमुख है. ऐसे में इतने बड़े किसानों आंदोलन के प्रपेक्ष्य में पंजाब में होने वाला मतदान बेहद मायने रखता है.

पंजाब में राजनीतिक समीकरण में बदल गए है

कैप्टन हुए पैदल
कुछ महीने पहले तक दशकों तक कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ( Captain Amrinder Singh) पंजाब ( Punjab) के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. लेकिन पंजाब में कांग्रेस के प्रदेश नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu) और प्रदेश के दूसरे नेताओं की कैप्टन के खिलाफ नाराजगी और कांग्रेस के आलाकमान के दवाब के बाद विधानसभा चुनाव ( Assembly Election) से कुछ महीने पहले उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. और कांग्रेस के दलित चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी ( Charanjit Singh Channi) पंजाब के नए मुख्यमंत्री बनाये गए. चन्नी और सिद्धू की जोड़ी पर कांग्रेस को फिर से सत्ता में वापस लाने की जिम्मेदारी है. वहीं कैप्टन नया दल बनाकर बीजेपी ( BJP) के साथ मिलकर पंजाब में चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

अकाली बीजेपी अलग अलग
पंजाब में इस बार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदला हुआ है. तीन कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल ( Shiromani Akali Dal) ने 2020 में बीजेपी ( Bhartiya Janta Party) से अलग होने का फैसला कर लिया. बीजेपी जिस समय भारतीय राजनीति में अछूत मानी जाती थी इसके बुरे दौर की साथी रही अकाली दल ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया. पंजाब में पिछले कई चुनावों को एक साथ लड़ने वाले अकाली दल बीजेपी अलग अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं. अकाली दल पंजाब में मायावती की बसपा ( Bahujan Samaj Party) के साथ मिलकर चुनाव पड़ने जा रही है तो बीजेपी कैप्टन अमेरंद्र सिंह के साथ मिलकर चुनाव पड़ रही है.

आम आदमी पार्टी भी रेस में
दिल्ली में सरकार चलाने वाली आम आदमी पार्टी ( Aam Aadmi Party) एक बार फिर पंजाब में ताल ठोके हुए है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal) लगातार पंजाब दौरा करते रहे हैं. उन्होंने मुफ्त बिजली का कार्ड भी खेला है. देखना होगा उनका ये दांव वोटरों पर क्या कमाल दिखाता है.

पंजाब में किसान किसके साथ
पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार उसी दल की जीत होगी जिसके साथ पंजाब के किसान होंगे. एक साल से ज्यादा समय तक चले जैसा आंदोलन किसानों ने किया वैसा आंदोलन देश ने कभी नहीं देखा था. किसानों के इस जिद्द के आगे सबसे ताकतवर मानी जाने वाली मोदी सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा. पंजाब के किसानों में बीजेपी नेताओं के खिलाफ भारी नाराजगी है.

बीजेपी नेताओं प्रवक्ताओं ने आंदोलन को लेकर जिस तरह के आपत्तिजनक बयान दिए वो बीजेपी पर पंजाब में भारी पड़ सकता है. नाराजगी किस हद तक है उसके सबसे बड़ा प्रमाण है कि प्रधानमंत्री मोदी फिरोजपुर में सभा नहीं कर पाये और उन्हें बीच रास्ते से दिल्ली वापस लौटना पड़ा. माना जा रहा है कि किसान आंदोलन का बड़ा खामियाजा बीजेपी को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. और पंजाब में इस बार उसी दल की सरकार बनेगी जिसके साथ प्रदेश के किसान खड़े होंगे.

चन्नी कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक
चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक चला है. पंजाब में 32 फीसदी दलित है और 50 सीटों पर कौन उम्मीदवार जीतेगा वो ये दलित तय करते हैं. 117 सीटों में 30 सीटें अनूसुचित जाति के लिए आरक्षित हैं. वहीं किसान आंदोलन के साथ कांग्रेस खड़ी रही है उसका भी फायदा कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है.

पंजाब में किसकी बनेगी सरकार?
पंजाब को मुख्य तौर से माझा, मालवा और दोआब तीन इलाकों में बंटा है. प्रदेश में सबसे ज्यादा मालवा में 69 विधानसभा की सीटें हैं. माना जाता है जिसने मालवा जीत लिया पंजाब में उसी की सरकार बनती है. विधानसभा की 117 सीटों वाले पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर दस साल बाद सत्ता में लौटी थी. जबकि शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी का गठबंधन महज 18 सीटों पर सिमट गया. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 20 सीट जीतकर मुख्य विपक्ष की भूमिका में है.

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