सरकार ने सुनी पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन की गुहार

पॉल्ट्री

केकेबी ब्यूरो

सरकार के एनिमल हसबैंड्री विभाग की तरफ से सोयाबीन आयात की मंजूरी मिलने के बाद पोल्ट्री एसोसिएशन ने राहत की सांस ली है। एसोसिएशन ने देश में सोयाबीन की बढ़ती कीमतों और उससे जुड़े पोल्ट्री क्षेत्र पर पड़ रहे प्रभाव के लिए सरकार से मदद मांगी थी। पशुधन किसानों और पोल्ट्री उद्योग की तरफ़ से पोल्ट्री ब्रीडर्स असोसिएशन ने सरकार से 12 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन कर मुक्त आयात करने के लिए अनुरोध किया, जिससे पशुधन किसानों को सिंतबर 2021 तक सहायता और सहयोग मिल सके।

भारत में सोयाबीन की कीमतों में पिछले एक वर्ष में 100 प्रतिशत से ज्यादा विस्तार हुआ है। मूल्यों में चढ़ाव 36,420 रुपये प्रति टन से 81,000 प्रति टन पर हुआ। बाज़ारों में भारतीय सोयाबीन और सोयामील की कीमत आधी है, अर्थात छोटे पोल्ट्री किसानों के लागत में 45 रुपये प्रति किलो की बढ़त हुई है।

हमारा देश Covid-19 की पहली लहर और 2020 में हुए लंबे Lockdown के कारण हुई वित्तीय समस्याओं से अभी भी पूरी तरह नहीं संभाल पाया है। हमारा पशुधन छेत्र, मुख्य रूप से पोल्ट्री उद्योग, स्वतंत्र भारत के सबसे कठिन चरण से गुज़र रहा है।

सरकार का धन्यवाद

पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, श्री बहादुर अली ने कहा कि अचनाक बढ़ते दामों और तेज़ी से पोल्ट्री की गिरती मांगों के कारण, छोटे किसानों के संकटों में सबसे ज़्यादा वृध्दि हुई है। अधिकांश किसानों ने नए चूज़े खेत में रखने बंद कर दिये है। मक्के और सोयाबीन के किसानों पर आने वाले फसल के मौसम के बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते है। सभी क्षेत्रों का लाभ सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है बढ़ती कीमतों और मांग का संतुलन बनाया जाए।“

सरकार की ओर से 12लाख मीट्रिक टन सोयाबीन के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति एक बड़ी राहत के रूप में आई है। साथ ही कमोडिटी एक्सचेंजों पर सोयाबीन कमोडिटी व्यापार को नियंत्रित रखने का अनुरोध किया गया था जिससे सोयाबीन बीज के अनियोजित उछाल से बचा जा सके।

और मदद की दरकार

बहादुर अली ने कहा, “हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहते हैं कि यह एक स्थायी कानून नहीं है जिसकी हम मांग कर रहे हैं, बल्कि पशुधन उद्योग की मौजूदा मांगों को सितंबर 2021 तक ही पूरा करने के लिए एक अंतरिम निर्णय है। जैसे ही सोयाबीन की नई फसल अक्टूबर में आ जायेगी, भोजन की कीमतों के स्तर भी सन्तुलित हो जाएगे और उसके साथ फीड उद्योग भी।“