Indian Spices: भारत के मसालों के पूरी दुनिया दीवानी है. देश में तो मसालों की मांग बढ़ी ही है, विदेशों में भी भारतीय मसालों की मांग में भारी इजाफा हुआ है. कोरोना महामारी के दौर में हल्दी (Turmeric) की मांग में भारी उछाल आया है. क्योंकि इसे इम्यूनिटी बूस्टर ( Immunity Booster) के रूप में सबसे बेहतरीन मसालों के तौर पर माना जाता है. चाहे वो काढ़ा बनाकर पीना हो या दूध में डालकर या फिर करेला के जूस में डालकर आयुर्वद के जानकार ये तमाम उपाये इम्यूनिटी बूस्ट के तौर पर लोगों को बताते रहे हैं क्योंकि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली क्षमता है.
कोरोना काल में बढ़ी हल्दी की मांग
अब कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है ऐसे में हल्दी की मांग में इजाफा देखा जा सकता है जिसका फायदा हल्दी की खेती करने वाले किसानों को मिलेगा. इससे किसानों की आय बढ़ेगी. हल्दी की मांग बढ़ने से किसानों को जबरदस्त फायदा हुआ है. मसाला बोर्ड के आंकड़े से ये बात साफ हो जाती है जिसके मुताबिक बीते पांच साल में हल्दी के नि्रयात में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है.
भारत में हल्दी की सबसे अधिक पैदावार
दुनिया में सबसे ज्यादा हल्दी की पैदावार भारत में होती है. दुनिया का 80 फीसदी हल्दी भारत में पैदा होता है और कुल निर्यात का 60 फीसदी हिस्सा भारत का है. कोरोना संकट काल में भारत से 1.83 लाख टन हल्दी का निर्यात हुआ है जिससे देश को 1676.6 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा मिली है. बांग्लादेश, यूएसए, ईरान, मलेशिया, मोरक्को, यूनाइटेड अरब अमीरात, इंग्लैंड, जर्मनी, श्रीलंका, नीदरलैंड, जापान, सउदी अरब, साउथ अफ्रीका, इराक एवं ट्यूनिशिया में भारतीय हल्दी भेजा गया है.
भारत में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक कौन है?
एपिडा (APEDA) के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा हल्दी का उत्पादन तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में होता है. जबकि हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक जिला तेलंगाना का निजामाबाद है. राज्य में हल्दी उत्पादन का करीब 90 प्रतिशत निजामाबाद, करीमनगर, वारंगल और आदिलाबाद यानी चार जिलों में ही होता है. हल्दी का प्रति हेक्टेयर सबसे अधिक उत्पादन (6,973 किलो) तेलंगाना में होता है.
हल्दी की खेती करने वाले किसानों की मांग?
किसानों का कहना है कि हल्दी के एक्सपोर्ट का फायदा उन्हें तब मिलेगा जब सरकार कुछ नीतिगत बदलाव करे. हल्दी की खेती करने वाले किसान सरकार से दो मांग कर रहे हैं. पहली मांग इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के दायरे में लाने की है, जबकि दूसरी मांग टर्मरिक बोर्ड बनाने की है. किसानों का कहना है कि ऐसा करने के बाद इसकी खेती करने वाले अच्छा पैसा कमा सकेंगे. किसानों का कहना है कि जब देश में तंबाकू बोर्ड हो सकता है तो फिर हल्दी बोर्ड क्यों नहीं? . जबकि भारतीय संस्कृति में कोई भी शुभ काम और खानपान हल्दी के बिना अधूरा है.
हल्दी को एमएसपी के दायरे में लाया जाए
कृषि क्षेत्र को लाभकारी बनाने के लिए जून 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यपालों की एक हाई पावर कमेटी गठित की थी. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर राम नाईक इसके अध्यक्ष थे. जबकि कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश के राज्यपाल सदस्य के तौर पर इसमें शामिल थे. कमेटी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में जो 21 सिफारिशें की थीं, उनमें हल्दी को एमएसपी में लाने का सुझाव भी शामिल था. लेकिन इस रिपोर्ट पर अब तक अमल नहीं हुआ.