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नए जमाने की खेती है वर्टिकल फार्मिंग, इसे करने से फायदा ही फायदा

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वर्टिकल फार्मिंग के लिए मौसम पर निर्भरता नहीं, पर्यावरण के लिए माकूल

केकेबी ब्यूरो। खेती किसानी करने वालों के बीच इन दिनों वर्टिकल खेती की चर्चा जोरों पर है। दरअसल देखा जाए तो आधुनिक खेती के रूप में वर्टिकल खेती एक बेहतर विकल्प किसानों के लिए साबित हो रहा है और भविष्य में कमाई का बेहतरीन जरिया भी साबित हो सकता है। खेती का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें खाद, केमिकल्स या फिर खतरनाक कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिससे फसल में पोषक तत्व की भरपूर मात्रा होते हैं।

शहरों इलाकों के लिए वरदान है वर्टिकल फार्मिंग

वर्टिकल फार्मिंग की सबसे खास पहलू यह है कि इसके मदद से शहरी इलाकों में आसानी से खेती की जा सकती है। साथ ही पारंपरिक खेती की तुलना में कुछ ही हफ्तों में फसल तैयार हो जाती है। वर्टिकल फार्मिंग कोई भी व्यक्ति अपने घर के छत या फिर बेहद कम जगह में भी कर सकता है। इस खेती के लिए न तो अधिक मिट्टी की जरूरत है न अधिक धूप या पानी की।

क्या है वर्टिकल फार्मिंग

वर्टिकल का अर्थ होता है एक लेयर के ऊपर दूसरा लेयर, वर्टिकल खेती में नीचे से ऊपर तक अलग-अलग लेयर में फल या सब्जी की खेती की जाती है। वर्टिकल खेती नियंत्रित वातावरण में की जाती है इसलिए मौसम का दुष्प्रभाव इसपर नहीं पड़ता है, जिसके चलते फसल की पैदावार भी अच्छी होती है। और पर्यावरण के लिहाज से भी यह काफी फायदेमंद है। वर्टिकल खेती का शहरों के तापमान पर भी बहुत सकारात्मक असर पड़ता है। ये शहरों में हरियाली लाने के साथ ही तापमान को कम करता है।

 

भारत में वर्टिकल फार्मिंग शुरू

भारत में भी वर्टिकल फार्मिंग शुरू हो चुकी है। बड़े शहरों में खेती के इस नए तरीकों को अपनाया जा रहा है। खासतौर से दिल्ली एनसीआर मुंबई बेंगलुरु और चेन्नई में जहां पर कई स्टार्टअप वर्टिकल फार्मिंग शुरू कर चुके हैं। पंजाब और पश्चिम बंगाल के नादिया में वर्टिकल फार्मिंग की जा रही है। नादिया में स्थित बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय में वर्टिकल फार्मिंग के जरिए टमाटर और बैंगन की खेती की गई और यह उपयोग काफी सफल रहा। पंजाब में भी वर्टिकल फार्मिंग के जरिए आलू का उत्पादन किया जा रहा है। कृषि अनुसंधान केंद्र ( ICAR ) और दूसरी कई और संस्थाएं वर्टिकल फार्मिंग को अपनाने में लोगों की मदद कर रहा।

तीन तरह की वर्टिकल फार्मिंग

वर्टिकल फार्मिंग में 3 तरीके से खेती की जाती है हाइड्रोपोनिक, एयरोपोनिक और एक्वापोनिक। हाइड्रोपोनिक सिस्टम के तहत पौधों को मिट्टी के बगैर उगाया जा सकता है इस तरह की खेती में पौधों की जड़ों को एक तरह के पोषक तत्व में डुबोकर उपजाया जाता है जिसमें पर्याप्त मात्रा में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं। एक्वापोनिक सिस्टम के तहत एक ही जगह पर पौधे और मछलियों को तैयार किया जाता है। जबकि एयरोपोनिक सिस्टम में कोई मिट्टी लिक्विड की जरूरत नहीं पड़ती है। एक एयर चेंबर में जरूरी पोषक तत्वों को लिक्विड की मदद से मिला दिया जाता है इसमें पानी की खपत नहीं होती है।

शानदार विकल्प है वर्टिकल फार्मिंग

बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर फल और सब्जी की सप्लाई सुनिश्चित बनाए रखने के लिए वर्टिकल फार्मिंग बेहद कारगर साबित हो सकता है। वर्टिकल फार्मिंग के जरिए होटल, फ़ास्ट फूड चेन, रेलवे कैटरिंग, रक्षा संस्थानों को सब्जी और फलों की सप्लाई की जा सकती है जो किसानों के लिए एक बड़ा मार्केट का काम करेगा। यदि किसी किसान के पास जमीन है तो 1 एकड़ जमीन पर वर्टिकल खेती करने के लिए 5 सालों में करीब 30 लाख रूपए खर्च आएंगे। वर्टिकल फार्मिंग में 1 एकड़ में जितना फसल उगाया जाता है इतना करीब 4 से 5 एकड़ की जमीन में उत्पादन किया जाता है वर्टिकल फार्मिंग करने वाले किसानों को मौसम पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।

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