केकेबी ब्यूरो, दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ संसद के बजट सत्र का शुक्रवार से आगाज हो गया। राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में मोदी सरकार द्वारा कृषि और किसानों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा की। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने बीते 6 वर्षों में बीज से लेकर बाज़ार तक हर व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास किया है, ताकि भारतीय कृषि आधुनिक बने और कृषि का विस्तार हो।
राष्ट्रपति कोविंद ने संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुये कहा, समय की मांग है कि कृषि क्षेत्र में ऐसे छोटे-सीमांत किसान, जिनके पास सिर्फ एक या दो हेक्टेयर जमीन है, उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। देश के सभी किसानों में से 80 फीसदी से ज्यादा छोटे किसान हैं और जिनकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है। राष्ट्रपति ने पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए किसानों के खातों में लगभग 1,13,000 करोड़ से अधिक रुपए सीधे ट्रांसफर किए जाने का जिक्र करते हुये कहा कि केंद सरकार की प्राथमिकताओं में छोटे और सीमांत किसान हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से देश के छोटे किसानों को लाभ हुआ है। इस योजना के तहत पिछले 5 वर्षों में किसानों को 17 हजार करोड़ रुपए प्रीमियम के एवज में लगभग 90 हजार करोड़ रुपए की बीमा राशि का भुगतान किय गया है।
राष्ट्रपति ने मोदी सरकार द्वारा स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू जाने का जिक्र करते हुये कहा कि किसानों को अब लागत से डेढ़ गुना उनके उपज का न्यूनतम समर्थन मुल्य दिया जा रहा। सरकार MSP पर रिकॉर्ड मात्रा में खरीदारी तो कर ही रही साथ ही खरीद केंद्रों की संख्या को भी बढ़ा रही है।
राष्ट्रपति कोविंद ने किसानों का अभिनंदन करते हुये कि 2013-14 में जहां 42 लाख हेक्टेयर जमीन में ही माइक्रो-इरिगेशन की सुविधा थी, वहीं आज 56 लाख हेक्टेयर से ज्यादा अतिरिक्त जमीन को माइक्रो-इरिगेशन से जोड़ा जा चुका है। और इसी अवधि में सब्जी और फलों का उत्पादन भी 215 मिलियन टन से बढ़कर अब 320 मिलियन टन तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि देश में खाद्यान्न उपलब्धता रिकॉर्ड स्तर पर है। साल 2008-09 में जहां देश में 234 मिलियन टन खाद्यान्न की पैदावार हुई थी वहीं साल 2019-20 में देश की पैदावार बढ़कर 296 मिलियन टन तक पहुंच गयी है।